Lomadi aur anguro ki kahani
लोमड़ी और अंगूरों की कहानी एक दिन एक भूखी लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। वह बहुत दूर से अंगूरों की बेल देखी, जिनमें स्वादिष्ट अंगूर लटके हुए थे। अंगूरों को देखकर उसकी जुबान तर हो गई और उसने सोचा, "आज इन अंगूरों का स्वाद लूंगी।" लोमड़ी अंगूरों के पास पहुंची और उन्हें खाने के लिए कूदने लगी, लेकिन अंगूर बहुत ऊँचाई पर थे। वह बार-बार कूदी, लेकिन हर बार अंगूर से कुछ इंच नीचे ही रह जाती। कई बार कोशिश करने के बाद भी लोमड़ी उन तक नहीं पहुँच पाई। अंत में थक-हार कर लोमड़ी ने कहा, "ये अंगूर तो खट्टे होंगे। अगर मुझे मिल जाते, तो भी मैं नहीं खाती।" फिर वह मुंह मोड़कर वहां से चल दी। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब हम किसी चीज़ को हासिल नहीं कर पाते, तो हम अक्सर उसका मूल्य घटा देते हैं। यही इंसान की आदत होती है, जो कभी अपनी असफलता को स्वीकार नहीं करता और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए चीज़ों को नकारता है।